Music/Album : दास्तान (1970)
Music By : लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By : साहिर लुधियानवी
Performed By : मो.रफ़ी
न तू ज़मीं के लिए
है न आसमां के लिए
तेरा वजूद है
अब दास्ताँ के लिए
पलट के सु-ए-चमन
देखने से क्या होगा
वो शाख ही ना रही
जो थी आशियाँ के लिए
न तू...
गरज परस्त जहां में
वफ़ा तलाश न कर
ये शय बनी थी किसी
दूसरे जहां के लिए
तेरा वजूद...