Singer: Mahendra Kapoor
चलो इक बार फिर से, अजनबी बन जाएँ हम दोनों
चलो इक बार फिर से, अजनबी बन जाएँ हम दोनों
न मैं तुम से कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की
न तुम मेरी तरफ़ देखो ग़लत अन्दाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों में
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज़ नज़रों से
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशक़दमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं
मेरे हमराह भी रुसवाइयाँ हैं मेरे माज़ी की
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साए हैं
तारुफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा