सोमवार, 1 नवंबर 2010

शीशा हो या दिल हो

Singer: Lata Mangeshkar

शीशा हो या दिल हो, आखिर
टूट जाता है, टूट जाता है, टूट जाता है
लब तक आते आते हाथों से, सागर
छूट जाता है, छूट जाता है, छूट जाता है

काफी बस अरमान नहीं, कुछ मिलना आसान नहीं
दुनिया की मजबूरी है, फिर तकदीर ज़रूरी है
ये जो दुश्मन है ऐसे, दोनों राज़ी हो कैसे
एक को मनाऊँ तो दूजा
रूठ जाता है, रूठ जाता है, रूठ जाता है

बैठे थे किनारे पे, मौजों के इशारे पे
हम खेलें तूफ़ानों से, इस दिल के अरमानों से
हमको यह मालूम ना था, कोई साथ नहीं देता
मांझी छोड़ जाता है, साहिल
छूट जाता है, छूट जाता है, छूट जाता है

दुनिया एक तमाशा है, आशा और निराशा है
थोड़े फूल है कांटे है, जो तकदीर ने बांटे हैं
अपना अपना हिस्सा है, अपना अपना किस्सा है
कोई लुट जाता है, कोई
लूट जाता है, लूट जाता है, लूट जाता है