Singer: Mohd. Rafi
सुहानी रात ढल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे 
जहाँ की रुत बदल चुकी  
ना जाने तुम कब आओगे
नज़ारे अपनी मस्तियां
दिखा दिखा के सो गये
सितारे अपनी रौशनी
लुटा लुटा के सो गये
हर एक शम्मा जल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे
तड़प रहे हैं हम यहाँ  
तुम्हारे इंतज़ार में
खिज़ा का रंग आ चला है      
मौसम-ए-बहार में 
हवा भी रुख बदल चुकी  
ना जाने तुम कब आओगे