Singers: Lata Mangeshkar and Kishore Kumar
हज़ार राहें मुड़ के देखी, कहीं से कोई सदा ना आयी
बड़ी वफ़ा से निभायी तुमने, हमारी थोड़ी सी बेवफाई
जहाँ से तुम मोड़ मुड़ गए थे, ये मोड़ अब भी वहीं पड़े हैं
हम अपने पैरों में जाने कितने, भंवर लपेटे हुए खड़े हैं
कहीं किसी रोज़ यूं भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रात हम ने गुज़ारी मर के, वो रात तुम ने गुज़ारी होती
तुम्हे ये ज़िद थी के हम बुलाते, हमे ये उम्मीद वो पुकारें
है नाम होंठों पे अब भी लेकिन आवाज़ में पड़ गयी दरारें