रविवार, 7 नवंबर 2010

मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की क़सम

Singer: Mohd. Rafi

मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की क़सम
फिर मुझे नरगिसी आँखों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे

भूल सकती नहीं आँखें वो सुहाना मंज़र
जब तेरा हुस्न मेरे इश्क़ से टकराया था
और फिर राह में बिखरे थे हज़ारों नग़में
मैं वो नग़में तेरी आवाज़ को दे आया था
साज़-ए-दिल को उन्हीं गीतों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे

याद है मुझको मेरी उम्र की पहली वो घड़ी
तेरी आँखों से कोई जाम पिया था मैंने
मेरी रग रग में कोई बर्क़ सी लहराई थी
जब तेरे मरमरी हाथों को छुआ था मैंने
आ मुझे फिर उन्हीं हाथों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे

मैंने इक बार तेरी एक झलक देखी है
मेरी हसरत है के मैं फिर तेरा दीदार करूँ
तेरे साये को समझ कर मैं हँसीं ताजमहल
चाँदनी रात में नज़रों से तुझे प्यार करूँ
अपनी महकी हुई ज़ुल्फ़ों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे

ढूँढता हूँ तुझे हर राह में हर महफ़िल में
थक गये हैं मेरी मजबूर तमन्ना के कदम
आज का दिन मेरी उम्मीद का है आख़िरी दिन
कल न जाने मैं कहाँ और कहाँ तू हो सनम
दो घड़ी अपनी निगाहों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे

सामने आ के ज़रा पर्दा उठा दे रुख़ से
इक यही मेरा इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई है
तेरी फ़ुरक़त ने परेशान किया है मुझको
अब तो मिल जा के मेरी जान पे बन आई है
दिल को भूली हुई यादों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे