Singer: Lata Mangeshkar
मौसम है आशिक़ाना
ऐ दिल कहीं से उनको, ऐसे में ढूँढ लाना
कहना के रुत जवां है, और हम तरस रहे हैं
काली घटा के साए, बिरहन को डँस रहे हैं
डर है न मार डाले, सावन का क्या ठिकाना
सूरज कहीं भी जाए, तुम पर न धूप आए
तुमको पुकारते हैं, इन गेसुओं के साए
आ जाओ मैं बना दूँ, पलकों का शामियाना
फिरते हैं हम अकेले, बांहों में कोई ले ले
आखिर कोई कहाँ तक, तनहाइयों से खेले
दिन हो गए हैं ज़ालिम, रातें हैं क़ातिलाना
ये रात ये ख़ामोशी ये ख़्वाब से नज़ारे
जुग्नू हैं या ज़मीं पर, उतरे हुए हैं तारे
बेख़्वाब मेरी आँखें, मदहोश है ज़माना