मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

मैं कहीं कवि न बन जाऊँ - Main Kahin Kavi Na Ban Jaaun (Md.Rafi, Pyar Hi Pyar)

Movie/Album: प्यार ही प्यार (1969)
Music By: शंकर-जयकिशन
Lyrics By: हसरत जयपुरी
Performed By: मो.रफ़ी

मैं कहीं कवि न बन जाऊँ
तेरे प्यार में ऐ कविता

तुझे दिल के आइने में, मैंने बार-बार देखा
तेरी अँखड़ियों में देखा तो छलकता प्यार देखा
तेरा तीर मैंने देखा तो जिगर के पार देखा
मैं कहीं कवि न बन जाऊँ...

तेरा रंग है सलोना, तेरे अंग में लचक है
तेरी बात में है जादू, तेरे बोल में खनक है
तेरी हर अदा मुहब्बत, तू ज़मीन की धनक है
मैं कहीं कवि न बन जाऊँ...

मेरा दिल लुभा रहा है, तेरा रूप सादा-सादा
ये झुकी झुकी निगाहें, करे प्यार दिल में ज्यादा
मैं तुझी पे जान दूँगा, है यही मेरा इरादा
मैं कहीं कवि न बन जाऊँ...