जो भरा नहीं है भावों से जिसमें बहती रसधार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है,जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं॥
बुझने लगी हो आंखे तेरी, चाहे थमती हो रफ्तार
उखड़ रही हो सांसे तेरी, दिल करता हो चित्कार
दोष विधाता को ना देना, मन मे रखना तू ये आस
“रण विजयी” बनता वही, जिसके पास हो “आत्मविश्वास"
आओ झुक कर सलाम करें उनको,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है,
खुशनसीब होते हैं वो लोग,
जिनका लहू इस देश के काम आता है॥
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दुआ मांगी थी आशियाने की ,
चल पड़ी आंधियां ज़माने की,
मेरे गम को कोई समझ न पाया,
मुझे आदत थी मुस्कराने की॥
कोशिशों के बावजूद हो जाती है कभी हार ...
होके निराश मत बैठना मन को अपने मार ...
बड़ते रहना आगे सदा हो जैसा भी मौसम ...
पा लेती है मंजिल चींटी भी गिर गिर के हर बार॥
ऐसा नहीं की राह में रहमत नहीं रही
पैरो को तेरे चलने की आदत नहीं रही
कश्ती है तो किनारा नहीं है दूर
अगर तेरे इरादों में बुलंदी बनी रही॥
मुश्किलों से भाग जाना आसन होता है ,
हर पहलु ज़िन्दगी का इम्तिहान होता है ,
डरने वालो को मिलता नहीं कुछ ज़िन्दगी में ,
लड़ने वालो के कदमो में जहाँ होता है॥
बुलबुल के परो में बाज़ नहीं होते ,
कमजोर और बुजदिलो के हाथो में राज नहीं होते ,
जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत ,
दोस्तों उन सिरों पर कभी ताज नहीं होते॥
हर पल पे तेरा ही नाम होगा ,
तेरे हर कदम पे दुनिया का सलाम होगा
मुशिकिलो का सामना हिम्मत से करना ,
देखना एक दिन वक़्त भी तेरा गुलाम होगा॥
मंजिले उन्ही को मिलती है
जिनके सपनो में जान होती है
पंखो से कुछ नहीं होता
होसलो से उडान होती है॥
ताश के पत्तों से महल नहीं बनता,
नदी को रोकने से समंदर नहीं बनता,
बढ़ाते रहो जिंदगी में हर पल,
क्यूंकि एक जीत से कोई सिकंदर नहीं बनता
प्रेरणा के पंख:-२
1.मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं ,
स्वप्न के परदे निगाहों से हटाती हैं ,
हौसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर ,
ठोकरें इन्सान को चलना सिखाती हैं |
2.खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं ,
धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं ,
ये कैंचियाँ खाक हमें उड़ने से रोकेगी ,
हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं|
3.मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं ,
रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं |
4.हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये ,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये ,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे ,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये .
5. वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या ,जिस पथ में बिखरें शूल न हों
नाविक की धैर्य कुशलता क्या , जब धाराएँ प्रतिकूल न हों ।
6. जब टूटने लगे होसले तो बस ये याद रखना ,बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते ,
ढूंड लेना अंधेरों में मंजिल अपनी ,जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते .
7. यह अरण्य झुरमुट जो काटे अपनी राह बना ले ,
कृत दास यह नहीं किसी का जो चाहे अपना ले
जीवन उनका नहीं युधिष्ठिर जो इससे डरते हैं,
यह उनका जो चरण रोप निर्भय होकर चलते हैं |
8. कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी ,
सदियों रहा है दुश्मन दौरे -जमाँ हमारा |
9.समर में घाव खाता है उसी का मान होता है,
छिपा उस वेदना में अमर बलिदान होता है,
सृजन में चोट खाता है छेनी और हथौड़ी का,
वही पाषाण मंदिर में कहीं भगवान होता है |
10.कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं ,
जीता वही जो डरा नहीं |
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