Movie/Album: जीवा (1986)
Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: आशा भोंसले, अमित कुमार
रोज़ रोज़ आँखों तले एक ही सपना चले
रात भर काजल जले, आँख में जिस तरह
ख़्वाब का दिया जले
जबसे तुम्हारी नाम की मिसरी होंठ लगायी है
मीठा सा ग़म है, और मीठी सी तन्हाई है
रोज़ रोज़ आँखों तले...
छोटी सी दिल की उलझन है, ये सुलझा दो तुम
जीना तो सीखा है मरके, मरना सिखा दो तुम
रोज़ रोज़ आँखों तले...
आँखों पर कुछ ऐसे तुमने ज़ुल्फ़ गिरा दी है
बेचारे से कुछ ख़्वाबों की नींद उड़ा दी है
रोज़ रोज़ आँखों तले...
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Music By: आर.डी.बर्मन
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: आशा भोंसले, अमित कुमार
रोज़ रोज़ आँखों तले एक ही सपना चले
रात भर काजल जले, आँख में जिस तरह
ख़्वाब का दिया जले
जबसे तुम्हारी नाम की मिसरी होंठ लगायी है
मीठा सा ग़म है, और मीठी सी तन्हाई है
रोज़ रोज़ आँखों तले...
छोटी सी दिल की उलझन है, ये सुलझा दो तुम
जीना तो सीखा है मरके, मरना सिखा दो तुम
रोज़ रोज़ आँखों तले...
आँखों पर कुछ ऐसे तुमने ज़ुल्फ़ गिरा दी है
बेचारे से कुछ ख़्वाबों की नींद उड़ा दी है
रोज़ रोज़ आँखों तले...