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गुरुवार, 25 अक्टूबर 2012

न जा कहीं अब न जा - Na Ja Kahin Ab Na Ja (Md.Rafi)



Movie/Album: मेरे हमदम मेरे दोस्त (1968)
Music By: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: मो. रफ़ी

न जा, कहीं अब न जा
दिल के सिवा
है यही दिल, कूचा तेरा
ऐ मेरे हमदम, मेरे दोस्त
न जा कहीं...

बेसबब उड़ेगी हरसू
तेरे पैरहन की खुशबू
इधर तो आ, संवार दूं
खुले-खुले ये गेसू
वफ़ा देती है सदा
न जा कहीं...

आके खून-ए-दिल मिला के
भर दूँ इन लबों के खाके
बुझा-बुझा बदन तेरा
कँवल-कँवल बना के
खिला दूँ रंग-ए-हिना
न जा कहीं...

आज शहर-ए-दिल में चलकर
सूरत-ए-चराग़ जलकर
इसी झुकी हुई नज़र
के काजल से दिल पर
लिखे आ नाम-ए-वफ़ा
न जा कहीं...

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बुधवार, 24 अक्टूबर 2012

चलो सजना जहाँ तक - Chalo Sajna Jahan Tak (Lata Mangeshkar)



Movie/Album: मेरे हमदम मेरे दोस्त (1968)
Music By: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: लता मंगेशकर

चलो सजना, जहाँ तक घटा चले
लगाकर मुझे गले
चलो सजना...

सुंदर सपनों की है, मंज़िल कदम के नीचे
फ़ुर्सत किसको इतनी, देखे जो मुड़ के पीछे
तुम चलो, हम चलें
हम चलें, तुम चलो
सावन की हवा चले
चलो सजना जहाँ...

धड़कन तुमरे दिलकी, उलझी हमारी लट में
तुम्हरे तन की छाया, काजल बनी पलक में
एक हैं दो बदन
दो बदन एक हैं
आँचल के तले-तले
चलो सजना जहाँ...

पत्थरीली राहों में, तुम संग मैं झूम लूँगी
खाओगे जब ठोकर, होंठों से चूम लूँगी
प्यार का आज से
आज से प्यार का
हमसे सिलसिला चले
चलो सजना जहाँ...

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रविवार, 17 जुलाई 2011

हुई शाम उनका ख़याल - Hui Shaam Unka Khayal (Md.Rafi)



Movie/Album: मेरे हमदम मेरे दोस्त (1968)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: मो.रफ़ी

हुई शाम उनका ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया

अभी तक तो होंठों पे था
तबस्सुम का एक सिलसिला
बहुत शादमाँ थे हम उनको भूला कर
अचानक ये क्या हो गया
के चहरे पे रंग-ए-मलाल आ गया
हुई शाम उनका...

हमें तो यही था ग़ुरूर
ग़म-ए-यार है हमसे दूर
वही ग़म जिसे हमने किस-किस जतन से
निकाला था इस दिल से दूर
वो चलकर क़यामत की चाल आ गया
हुई शाम उनका...

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रविवार, 16 जनवरी 2011

छलकाए जाम - Chhalkaaye Jaam (Md.Rafi)



Movie/Album : मेरे हमदम मेरे दोस्त (1968)
Music By : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
Lyrics By : मजरुह सुलतानपुरी
Performed By : मो.रफी

छलकाए जाम
आईये आप की
आँखों के नाम
होठों के नाम

फूल जैसे तन पे जलवे ये रंग-ओ-बू के
आज जाम-ए-मय उठे इन होठों को छू के
लचकाईये शाख-ए-बदन, महकाईये जुल्फों की शाम

आप ही का नाम लेकर पी है सभी ने
आप पर धड़क रहे हैं, प्यालों के सीने
यहाँ अजनबी कोई नहीं, ये है आप की महफ़िल तमाम

कौन हर किसी की बाहें बाहों में डाले
जो नज़र नशा पिलाए, वो ही संभाले
दुनिया को हो औरों की धुन, हम को तो है साकी से काम

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