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शनिवार, 3 सितंबर 2011

पग घुंघरू बाँध मीरा - Pag Ghungroo Baandh Meera (Kishore Kumar)



Movie/Album: नमक हलाल (1982)
Music By: बप्पी लाहिरी
Lyrics By: अनजान
Performed By: किशोर कुमार

बुजुर्गों ने फ़रमाया की पैरों पे अपने खड़े होके दिखलाओ
फिर ये ज़माना तुम्हारा है
ज़माने के सुर ताल के साथ चलते चले जाओ
फिर हर तराना तुम्हारा, फ़साना तुम्हारा है
अरे तो लो भैया हम
अपने पैरों के ऊपर खड़े हो गए
और मिला ली है ताल
दबा लेगा दाँतों तले उँगलियाँ-लियां
ये जहाँ देखकर, देखकर अपनी चाल

के पग घुंघरू बाँध मीरा नाची थी
और हम नाचे बिन घुंघरू के
वो तीर भला किस काम का है
जो तीर निशाने से चूके-चूके-चूके रे

आप अन्दर से कुछ और बाहर से कुछ और नज़र आते हैं
बाखुदा शक्ल से तो चोर नज़र आते हैं
उम्र गुज़री है सारी चोरी में
सारे सुख-चैन बंद जुर्म की तिजोरी में
आपका तो लगता है बस यही सपना
राम-राम जपना, पराया माल अपना
वतन का खाया नमक तो नमक हलाल बनो
फ़र्ज़ ईमान की जिंदा यहाँ मिसाल बनो
पराया धन, परायी नार पे नज़र मत डालो
बुरी आदत है ये, आदत अभी बदल डालो
क्योंकि ये आदत तो वो आग है जो
इक दिन अपना घर फूंके-फूंके-फूंके रे
के पग घुंघरू...

मौसम-ए-इश्क में मचले हुए अरमान है हम
दिल को लगता है के दो जिस्म एक जान है हम
ऐसा लगता है तो लगने में कुछ बुराई नहीं
दिल ये कहता है आप अपनी हैं पराई नहीं
संगमरमर की हाय, कोई मूरत हो तुम
बड़ी दिलकश बड़ी ख़ूबसूरत हो तुम
दिल-दिल से मिलने क कोई महूरत हो
प्यासे दिलों की ज़रुरत हो तुम
दिल चीर के दिखला दूं मैं, दिल में यहीं सूरत हसीं
क्या आपको लगता नहीं हम हैं मिले पहले कहीं
क्या देश है क्या जात है
क्या उम्र है क्या नाम है
अजी छोड़िये इन बातों से
हमको भला क्या काम है
अजी सुनिए तो
हम आप मिलें तो फिर हो शुरू अफ़साने लैला मजनू, लैला मजनू के
के पग घुंघरू...

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मंगलवार, 30 अगस्त 2011

रात बाकी बात बाकी - Raat Baaki Baat Baaki (Asha Bhosle, Bappi Lahiri)



Movie/Album: नमक हलाल (1982)
Music By: बप्पी लाहिरी
Lyrics By: अनजान
Performed By: आशा भोंसले, बप्पी लाहिरी

रात बाकी, बात बाकी
होना है जो हो जाने दो
सोचो ना देखो तो
देखो हाँ जाने-जां
मुझे प्यार से

कश्ती जवां दिल की तूफां से टकरा गयी
मंज़िल मोहब्बत की अब तो करीब आ गयी
आ देखले, है क्या मज़ा
दिल हार के
रात बाकी...

आगाज़ ये है तो अंजाम होगा हसीं
दीवाने परवाने मरने से डरते नहीं
आ दिलरुबा, खुल के ज़रा
मिल यार से
रात बाकी...

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