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मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

किसका चेहरा अब मैं देखूं - Kiska Chehra Ab Main Dekhun (Jagjit Singh, Alka Yagnik)



Movie/Album: तरकीब (2000)
Music By: आदेश श्रीवास्तव
Lyrics By: निदा फाज़ली
Performed By: जगजीत सिंह, अलका याग्निक

चाँद भी देखा, फूल भी देखा
बादल, बिजली, तितली, जुगनू
कोई नहीं है ऐसा, तेरा हुसन है जैसा

मेरी निगाह ने ये कैसा ख्वाब देखा है
ज़मीं पे चलता हुआ महताब देखा है
मेरी आँखों ने चुना है तुझको, दुनिया देखकर
किसका चेहरा, अब मैं देखूं, तेरा चेहरा देखकर

नींद भी देखी, ख्वाब भी देखा
चूड़ी, बिंदिया, दर्पण, खुशबू
कोई नहीं है ऐसा, तेरा प्यार है जैसा
मेरी आँखों ने चुना है...

रंग भी देखा, रूप भी देखा
रस्ता, मंजिल, साहिल, महफ़िल
कोई नहीं है ऐसा, तेरा साथ है जैसा
मेरी आँखों ने चुना है...

बहुत खूबसूरत है आँखें तुम्हारी
बना दीजिये इनको, किस्मत हमारी
उसे और क्या चाहिए ज़िन्दगी में
जिसे मिल गयी है मोहब्बत तुम्हारी
मेरी आँखों ने चुना है...

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मंगलवार, 22 मार्च 2011

होरी खेले रघुवीरा - Hori Khele Raghuveera (Amitabh, Alka, Sukhwinder, Udit)



Movie/Album: बाग़बान (2003)
Music By: आदेश श्रीवास्तव
Lyrics By: समीर
Performed By: अमिताभ बच्चन, अलका याग्निक, सुखविंदर सिंह, उदित नारायण
 
ताल से ताल मिले मोरे बबुआ, बाजे ढोल मृदंग
मन से मन का मेल जो हो तो, रंग से मिल जाए रंग

होरी खेले रघुवीरा अवध में होरी खेले रघुवीरा
हाँ हिलमिल आवे लोग लुगाई
भाई महलन में भीरा अवध में
होरी खेले रघुवीरा...

इनको शर्म नहीं आये देखे नाहीं अपनी उमरिया
साठ बरस में इश्क लड़ाए
मुखड़े पे रंग लगाए, बड़ा रंगीला सांवरिया
चुनरी पे डाले अबीर अवध में
होरी खेरे रघुवीरा...

हे अब के फाग मोसे खेलो न होरी
(हाँ हाँ ना खेलत ना खेलत)
तोरी शपथ मैं उमरिया की थोरी
(हाय हाय हाय चाचा)

देखे है ऊपर से झांके नहीं अन्दर सजनिया
उम्र छड़ी है दिल तो जवान है
बांहों में भरके मुझे ज़रा झनका दे पैंजनिया
साँची कहे है कबीरा अवध में
होरी खेले रघुवीरा...

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सोमवार, 14 जून 2010

मोरा पिया - Mora Piya (Aadesh Srivastava)



Movie/Album : राजनीति (2010)
Music By : आदेश श्रीवास्तव
Lyrics By : समीर
Performed By : आदेश श्रीवास्तव

पिया मोरा.. मोरा पिया
मानत नाहिं
मोरा पिया मोसे बोलत नाहिं
द्वार जिया के के खोलत नाहिं
मोरा पिया मोसे...

दर्पण देखूं, रूप निहारूं
और सोलह श्रृंगार करूँ
फेर नजरिया बैठा बैरी
कैसे अँखियाँ चार करूं
कोई जतन अब, काम ना आवे
उस कछु सोहत नाहिं
मोरा पिया मोसे...

हमरी इक मुस्कान पे वो तो
अपनी जान लुटाता था
जग बिसरा के आठों पहरिया
मोरे ही गुण गाता था
भा गई का कोई सौतन ओ के
मोरा कुछ भावत नाहिं
मोरा पिया मोसे...

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