Movie/Album: अनुराधा (1960)
Music By: रवि शंकर
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: महेन्द्र कपूर, मन्ना डे, लता मंगेशकर
महेन्द्र कपूर
बहुत दिन हुए तारों के देश में
चंदा की नगरिया में रहते थे इक राजा
बज रहा था दूर दूर उनकी जय का बाजा
जैसे थे परतापी राजा, वैसे उनकी रानी
जैसा रूप रंग पाया, वैसी ज्ञानी दानी
दोनों की दुलारी इक बिटिया थी प्यारी
फूल जैसी नाज़ुक थी वो नाम था फूल कुमारी
अंधी तक़दीर ने अंधेर किया भारी
छीनी उसके होंठों से हँसी वो प्यारी प्यारी
फूल कुमारी भूल गई हँसना मुस्कुराना
लूट लिया भाग ने ख़ुशी का वो खज़ाना
एक एक कर हारे सब
फूल बनी रही पत्थर
मत पूछो क्या बीत रही थी
मात-पिता के दिल पर
मगर ये कौन, ये कैसी आवाज़ ?
मन्ना डे:
ले के दिल का साज़ हम, गीत गाने आ गये
दिल के कलियों ने कहा, दिन सुहाने आ गए
ग़म के बादल हट गए, खुल गया नीला गगन
हर कली को प्यार से, छू गई सूरज किरन
मुस्कुरा लो झूम लो, ओ ज़माने आ गये
ले के दिल का...
लता मंगेशकर:
समा अलबेला दिन हैं मिलन के
प्रीत लेके आए देखो मीत मेरे मन के
पिया-पिया गाये जिया नाचे मन मोरा
मेरी उनकी जोड़ी जैसे चाँद और चकोरा
नैनों में छुपाये फिरूँ सपने साजन के
समा अलबेला...
जिन्हें मैंने दिल दिया वो भी रहे मेरे
मन में मनाऊँ मैं साँझ और सवेरे
जीते जी न टूटेगी ये बंधन जीवन के
समा अलबेला...
महेन्द्र कपूर:
जैसे उनके अच्छे दिन फिर से लौट आए
मालिक ऐसे सबकी सुने सबके दिन लौटाए
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Music By: रवि शंकर
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: महेन्द्र कपूर, मन्ना डे, लता मंगेशकर
महेन्द्र कपूर
बहुत दिन हुए तारों के देश में
चंदा की नगरिया में रहते थे इक राजा
बज रहा था दूर दूर उनकी जय का बाजा
जैसे थे परतापी राजा, वैसे उनकी रानी
जैसा रूप रंग पाया, वैसी ज्ञानी दानी
दोनों की दुलारी इक बिटिया थी प्यारी
फूल जैसी नाज़ुक थी वो नाम था फूल कुमारी
अंधी तक़दीर ने अंधेर किया भारी
छीनी उसके होंठों से हँसी वो प्यारी प्यारी
फूल कुमारी भूल गई हँसना मुस्कुराना
लूट लिया भाग ने ख़ुशी का वो खज़ाना
एक एक कर हारे सब
फूल बनी रही पत्थर
मत पूछो क्या बीत रही थी
मात-पिता के दिल पर
मगर ये कौन, ये कैसी आवाज़ ?
मन्ना डे:
ले के दिल का साज़ हम, गीत गाने आ गये
दिल के कलियों ने कहा, दिन सुहाने आ गए
ग़म के बादल हट गए, खुल गया नीला गगन
हर कली को प्यार से, छू गई सूरज किरन
मुस्कुरा लो झूम लो, ओ ज़माने आ गये
ले के दिल का...
लता मंगेशकर:
समा अलबेला दिन हैं मिलन के
प्रीत लेके आए देखो मीत मेरे मन के
पिया-पिया गाये जिया नाचे मन मोरा
मेरी उनकी जोड़ी जैसे चाँद और चकोरा
नैनों में छुपाये फिरूँ सपने साजन के
समा अलबेला...
जिन्हें मैंने दिल दिया वो भी रहे मेरे
मन में मनाऊँ मैं साँझ और सवेरे
जीते जी न टूटेगी ये बंधन जीवन के
समा अलबेला...
महेन्द्र कपूर:
जैसे उनके अच्छे दिन फिर से लौट आए
मालिक ऐसे सबकी सुने सबके दिन लौटाए