Jodhaa Akbar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Jodhaa Akbar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 28 अक्टूबर 2012

ख्वाजा मेरे ख्वाजा - Khwaja Mere Khwaja (A.R.Rehman, Jodhaa Akbar)



Movie/Album: जोधा अकबर (2008)
Music By: ए.आर.रहमान
Lyrics By: काशिफ
Performed By: ए.आर.रहमान

ख्वाजा जी
या ग़रीब नवाज
या मोइनुद्दीन
या ख्वाजा जी

ख्वाजा मेरे ख्वाजा
दिल में समा जा
शाहो का शाह तू
अली का दुलारा
ख्वाजा मेरे ख्वाजा...
बेकसों की तक़दीर, तूने है संवारी
ख्वाजा मेरे ख्वाजा

तेरे दरबार में ख्वाजा
दूर तो है देखा
तेरे दरबार में ख्वाजा
सर झुकातें है औलिया
तू है उनलवली ख्वाजा
रुतबा है प्यारा
चाहने से तुझको ख्वाजा जी
मुस्तफ़ा को पाया
ख्वाजा मेरे ख्वाजा...

(है) मेरे पीर का सदका
तेरा दामन है थामा
ख्वाजा जी
टली हर बला हमारी
छाया है खुमार तेरा
जितना भी रश्क करे बेशक
तो कम है, ऐ मेरे ख्वाजा
तेरे क़दमों को मेरे रहनुमा नहीं
छोड़ना गंवारा
ख्वाजा मेरे ख्वाजा...

Share:

शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

जश्न-ए-बहारा - Jashn-e-Bahara (Jodhaa Akbar, Javed Ali)



Movie/Album: जोधा अकबर (2008)
Music By: ए.आर.रहमान
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: जावेद अली

कहने को जश्न-ए-बहारा है
दिल ये देख के हैराँ है
फूल से खुशबू ख़फ़ा-खफा है गुलशन में
छुपा है कोई रंज फिज़ा की चिलमन में
सारे सहमे नज़ारे हैं
सोये-सोये वक्त के धारे हैं
और दिल में खोई-खोई सी बातें हैं

कैसे कहें क्या है सितम
सोचते हैं अब ये हम
कोई कैसे कहे वो हैं या नहीं हमारे
करते तो हैं साथ सफर
फासले हैं फिर भी मगर
जैसे मिलते नहीं किसी दरिया के दो किनारे
पास हैं फिर भी पास नहीं
हमको ये गम रास नहीं
शीशे की इक दीवार है जैसे दरमियाँ
सारे सहमे नज़ारे हैं...

हमने जो था नगमा सुना
दिल ने था उसको चुना
ये दास्तान हमें वक्त ने कैसी सुनाई
हम जो अगर हैं गमगीं
वो भी उधर खुश तो नहीं
मुलाकातों में है जैसे घुल सी गई तन्हाई
मिलके भी हम मिलते नहीं
खिलके भी गुल खिलते नहीं
आँखों में हैं बहारें, दिल में खिज़ा
सारे सहमे नज़ारे हैं...

Share:

शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2012

इन लम्हों के दामन - In Lamhon Ke Daaman (Jodhaa Akbar, Sonu Nigam, Madhushree)



Movie/Album: जोधा अकबर (2008)
Music By: ए आर रहमान
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: सोनू निगम, मधुश्री

इन लम्हों के दामन में
पाकीज़ा से रिश्ते हैं
कोई कलमा मोहब्बत का
दोहराते फ़रिश्ते हैं
खामोश सी है ज़मीं
हैरान सा फ़लक है
इक नूर ही नूर सा
अब आसमां तलक है

नगमें ही नगमें हैं जागती-सोती फ़िज़ाओं में
हुस्न है सारी अदाओं में
इश्क है जैसे हवाओं में

कैसा ये इश्क है, कैसा ये ख्वाब है
कैसे जज़्बात का उमड़ा सैलाब है
दिन बदले, रातें बदली, बातें बदली
जीने के अंदाज़ ही बदले हैं
इन लम्हों के दामन...

समय ने ये क्या किया
बदल दी है काया
तुम्हें मैंने पा लिया
मुझे तुमने पाया
मिले देखो ऐसे हैं हम
कि दो सुर हों जैसे मद्धम
कोई ज़्यादा ना कोई कम
किसी राग में
के प्रेम आग में
जलते दोनों ही के
तन भी हैं मन भी
मन भी हैं तन भी

मेरे ख़्वाबों के इस गुलिस्ता में
तुमसे ही तो बहार छाई है
फूलों में रंग मेरे थे लेकिन
इनमें खुश्बू तुम्हीं से आई है

क्योँ है ये आरज़ू, क्योँ है ये जुस्तजू
क्योँ दिल बेचैन है, क्योँ दिल बेताब है
दिन बदले, रातें बदली, बातें बदलीं
जीने के अंदाज़ भी बदले हैं
इन लम्हों के दामन में...

Share: