Singer: Lata Mangeshkar
ये बेकसी के अँधेरे ज़रा तो ढलने दे
बुझा न दे मेरे दिल का चराग़ जलने दे
ख़ुद अपनी आग में जलना मेरा मुक़द्दर है
मैं एक शम्मा हूँ पल-पल मुझे पिघलने दे
ये भटकी-भटकी जवानी ये डगमगाये क़दम
सँभल तो जाऊँ ज़माना अगर सँभलने दे
न सुन सके तो यहीं ख़त्म ज़िक्र-ए-ग़म कर दूँ
जो सुन सके तो मेरी दास्तान चलने दे
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