शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2009

रात कली एक ख्वाब - Raat Kali Ek Khwaab (Kishore Kumar)



Movie/Album : बुद्धा मिल गया (1971)
Music By : आर.डी.बर्मन
Lyrics By : मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By : किशोर कुमार

रात कली एक ख्वाब में आई और गले का हार हुई
सुबह को जब हम नींद से जागे आँख उन्हीं से चार हुई

चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत चाहे हंसी में उड़ा दो
ये क्या हुआ मुझे मुझको खबर नहीं हो सके तुम्हीं बता दो
तुमने कदम तो रखा ज़मीन पर सीने में क्यों झनकार हुई
रात कली..

आँखों में काजल और लटों में काली घटा का बसेरा
सांवली सूरत मोहनी मूरत सावन रुत का सवेरा
जब से ये मुखड़ा दिल में खिला है दुनिया मेरी गुलज़ार हुई
रात कली...

यूँ तो हसीनों के महाजबीनों के होते हैं रोज़ नज़ारे
पर उन्हें देख के देखा है जब तुम्हे तुम लगे और भी प्यारे
बाहों में ले लूं ऐसी तमन्ना एक नहीं कई बार हुई
रात कली...
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