रविवार, 14 नवंबर 2010

ग़ैरों पे करम अपनों पे सितम



Singer: Lata Mangeshkar

ग़ैरों पे करम अपनों पे सितम, ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर
रहने दे अभी थोड़ा सा भरम, ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर

हम चाहनेवाले हैं तेरे यूँ हमको जलाना ठीक नहीं
महफ़िल में तमाशा बन जाएं इस दर्जा सताना ठीक नहीं
मर जाऐंगे हम मिट जाऐंगे हम, ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर

ग़ैरों के थिरकते शाने पर, ये हाथ गँवारा कैसे करें
हर बात गंवारा है लेकिन, ये बात गंवारा कैसे करें
तुझको तेरी बेदर्दी की क़सम, ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर

हम भी थे तेरे मंज़ूर-ए-नज़र, जी चाहे तो अब इक़रार न कर
सौ तीर चला सीने पे मगर, बेगानों से मिलकर वार न कर
बेमौत कहीं मर जाएं न हम, ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर



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