मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

अजीब दास्तां है ये



Singer: Lata Mangeshkar

अजीब दास्तां है ये
कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंज़िलें है कौन सी
न वो समझ सके न हम

ये रोशनी के साथ क्यों
धुआँ उठा चिराग़ से
ये ख़्वाब देखती हूँ मैं
के जग पड़ी हूँ ख़्वाब से

मुबारकें तुम्हें के तुम
किसी के नूर हो गए
किसी के इतने पास हो
के सबसे दूर हो गए

किसी का प्यार लेके तुम
नया जहाँ बसाओगे
ये शाम जब भी आएगी
तुम हमको याद आओगे



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