मंगलवार, 27 अगस्त 2013

मेरा जज़्ब-ए-मोहब्बत कम न होगा



Lyricist: Sant Darshan Singh
Singer: Ghulam Ali

मेरा जज़्ब-ए-मोहब्बत कम न होगा
जहान-ए-आरज़ू बरहम न होगा।

बढ़ेगा मेरी दुनिया में उजाला
चिराग-ए-सोज़-ए-ग़म मद्धम न होगा।

जहाँ में आब गिल से मावरा भी
तेरा दर्द-ए-मोहब्बत कम न होगा।

तेरे दर पर जो सर ख़म हो गया है
वो अब दुनिया के आगे ख़म न होगा।

लड़ूँगा गर्दिश-ए-दौराँ से ‘दर्शन’
में जोश-ए-अमल अब कम न होगा।


बरहम = Spoiled
सोज़ = Burning, Exciting, Passionate
आब = Brilliance, Brightness
गिल = Earth, Mud
मावरा = Extra
ख़म = Bend
गर्दिश = Misfortune
दौराँ = Time
Share: