सोमवार, 1 नवंबर 2010

दिन ढल जाये



Singer: Mohd. Rafi

दिन ढल जाये हाय, रात ना जाये
तू तो न आए तेरी, याद सताये

प्यार में जिनके, सब जग छोड़ा और हुए बदनाम
उनके ही हाथों हाल हुआ ये, बैठे हैं दिल को थाम
अपने कभी थे, अब हैं पराये

ऐसी ही रिम-झिम, ऐसी फुहारें, ऐसी ही थी बरसात
खुद से जुदा और जग से पराये, हम दोनों थे साथ
फिर से वो सावन, अब क्यूँ न आये

दिल के मेरे, पास हो इतनी, फिर भी हो कितनी दूर
तुम मुझसे मैं दिल से परेशाँ, दोनों हैं मजबूर
ऐसे में किसको, कौन मनाये


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