Movie/Album: हँसते ज़ख्म (1973)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: मो.रफ़ी, लता मंगेशकर
तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है
के जहां मिल गया
एक भटके हुए राही को, कारवाँ मिल गया
बैठो न दूर हमसे, देखो खफ़ा न हो
क़िस्मत से मिल गए हो, मिलके जुदा न हो
मेरी क्या ख़ता है, होता है ये भी
की ज़मीं से भी कभी आसमां मिल गया
तुम जो मिल गए हो...
तुम क्या जानो तुम क्या हो, एक सुरीला नगमा हो
भीगी रातों में मस्ती, तपते दिल में साया हो
अब जो आ गए हो जाने न दूंगा
की मुझे इक हसीं मेहरबाँ मिल गया
तुम जो मिल गए हो...
तुम भी थे खोए-खोए, मैं भी बुझा-बुझा
था अजनबी ज़माना, अपना कोई न था
दिल को जो मिल गया है तेरा सहारा
इक नई ज़िंदगी का निशां मिल गया
तुम जो मिल गए हो...
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Music By: मदन मोहन
Lyrics By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: मो.रफ़ी, लता मंगेशकर
तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है
के जहां मिल गया
एक भटके हुए राही को, कारवाँ मिल गया
बैठो न दूर हमसे, देखो खफ़ा न हो
क़िस्मत से मिल गए हो, मिलके जुदा न हो
मेरी क्या ख़ता है, होता है ये भी
की ज़मीं से भी कभी आसमां मिल गया
तुम जो मिल गए हो...
तुम क्या जानो तुम क्या हो, एक सुरीला नगमा हो
भीगी रातों में मस्ती, तपते दिल में साया हो
अब जो आ गए हो जाने न दूंगा
की मुझे इक हसीं मेहरबाँ मिल गया
तुम जो मिल गए हो...
तुम भी थे खोए-खोए, मैं भी बुझा-बुझा
था अजनबी ज़माना, अपना कोई न था
दिल को जो मिल गया है तेरा सहारा
इक नई ज़िंदगी का निशां मिल गया
तुम जो मिल गए हो...