शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

कहीं पे निगाहें - Kahin Pe Nigahein (Shamshad Begum)



Movie/Album: सी.आई.डी. (1956)
Music By: ओ.पी.नैय्यर
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: शमशाद बेगम

कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना
जीने दो ज़ालिम, बनाओ न दीवाना
कहीं पे निगाहें...

कोई न जाने इरादे हैं किधर के
मार न देना तीर नज़र का किसी के जिगर पे
नाज़ुक ये दिल है, बचाना ओ बचाना
कहीं पे निगाहें...

तौबा जी तौबा निगाहों का मचलना
देख-भाल के ऐ दिलवालों पहलू बदलना
क़ाफ़िर अदा की, अदा है मस्ताना
कहीं पे निगाहें...

ज़ख़्मी हैं तेरे, जायें तो कहाँ जायें
तेरे तीर के मारे हुए देते हैं सदायें
कर दो जी घायल, तुम्हारा है ज़माना
कहीं पे निगाहें...

आया शिकारी, ओ पंछी तू सम्भल जा
देख जाल है ज़ुल्फ़ों का, तू चुपके से निकल जा
उड़ जा ओ पंछी, शिकारी है दीवाना
कहीं पे निगाहें...
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