Movie/Album: काला बाज़ार (1960)
Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मो.रफ़ी
अपनी तो हर आह एक तूफान है
क्या करे वो जान कर अनजान है
ऊपरवाला जान कर अनजान है
अब तो हँस के अपनी भी किस्मत को चमका दे
कानों में कुछ कह दे, जो इस दिल को बहला दे
ये भी मुश्किल है, तो क्या आसान है
ऊपरवाला जान कर...
सर पे मेरे तू जो अपना हाथ ही रख दे
फिर तो भटके राही को मिल जायेंगे रस्ते
दिल की बस्ती बिन तेरे वीरान है
ऊपरवाला जान कर...
दिल ही तो है, इसने शायद भूल भी की है
ज़िन्दगी है भूलकर ही राह मिलती है
माफ़ कर बंदा भी एक इंसान है
ऊपरवाला जान कर...
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Music By: एस.डी.बर्मन
Lyrics By: शैलेन्द्र
Performed By: मो.रफ़ी
अपनी तो हर आह एक तूफान है
क्या करे वो जान कर अनजान है
ऊपरवाला जान कर अनजान है
अब तो हँस के अपनी भी किस्मत को चमका दे
कानों में कुछ कह दे, जो इस दिल को बहला दे
ये भी मुश्किल है, तो क्या आसान है
ऊपरवाला जान कर...
सर पे मेरे तू जो अपना हाथ ही रख दे
फिर तो भटके राही को मिल जायेंगे रस्ते
दिल की बस्ती बिन तेरे वीरान है
ऊपरवाला जान कर...
दिल ही तो है, इसने शायद भूल भी की है
ज़िन्दगी है भूलकर ही राह मिलती है
माफ़ कर बंदा भी एक इंसान है
ऊपरवाला जान कर...