Movie/Album : ता रा रम पम (2007)
Music By : विशाल ददलानी, शेखर रव्जियानी
Lyrics By : जावेद अख्तर
Performed By : विशाल ददलानी
इक बंजारा इकतारे पर कब से गावे
जीवन है इक डोर, डोर उलझे ही जावे
आसानी से गिरहें खुलती नहीं है
मन वो हठीला है जो फिर भी सुलझावे
राही का तो काम है चलता ही जावे
साइयां वे साइयां वे, सुन-सुन साइयां वे
तिनका-तिनका चिड़िया लावे
ऐसे अपना घर वो बनावे
ज़र्रा-ज़र्रा तू भी जोड़ के इक घिरौन्दा बना
बूँद-बूँद है बनता सागर
धागा-धागा बनती चादर
धीरे-धीरे यूँ ही तू भी अपना जीवन सजा
सींचता है यहाँ जो बगिया को, वही फूल भी पावे
राही का तो...
दिन है पर्वत जैसे भारी
रातें बोझल-बोझल सारी
तू ये सोचता है राह कैसे आसान हो
सारी अनजानी है राहें, जिनमें ढूंढे तेरी निगाहें
कोई ऐसा पल आज या कल मेहरबान हो
घूमें कब से डगर-डगर, तू मन को ये समझावे
राही का तो...
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