बुधवार, 27 अक्टूबर 2010

क्या जानूँ सजन होती है क्या ग़म की शाम



Singer: Lata Mangeshkar

क्या जानूँ सजन होती है क्या ग़म की शाम
जल उठे सौ दिये जब लिया तेरा नाम

काँटों में मैं खड़ी
नैनों के द्वार पे
निस दिन बहार के देखूँ सपने
चेहरे की धूल क्या
चंदा की चाँदनी
उतरी तो रह गई मुख पे अपने

जबसे मिली नज़र
माथे पे बन गये
बिंदिया नयन तेरे देखो सजना
धर ली जो प्यार से
मेरी कलायियाँ
पिया तेरी उँगलियाँ हो गई कंगना


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