रविवार, 31 अक्टूबर 2010

ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मक़ाम



Singer: Kishore Kumar

ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मक़ाम
वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते

फूल खिलते हैं लोग मिलते हैं
फूल खिलते हैं लोग मिलते हैं मगर
पतझड़ में जो फूल मुरझा जाते हैं
वो बहारों के आने से खिलते नहीं
कुछ लोग इक रोज़ जो बिछड़ जाते हैं
वो हज़ारों के आने से मिलते नहीं
उम्र भर चाहे कोई पुकारा करे उनका नाम
वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते

आँख धोखा है क्या भरोसा है
आँख धोख है क्या भरोसा है सुनो
दोस्तों शक़ दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने न दो
कल तड़पना पड़े याद में जिनकी
रोक लो रूठ कर उनको जाने न दो
बाद में प्यार के चाहे भेजो हज़ारों सलाम
वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते

सुबह आती है शाम जाती है
सुबह आती है शाम जाती है यूँही
वक़्त चलता ही रहता है रुकता नहीं
एक पल में ये आगे निकल जाता है
आदमी ठीक से देख पाता नहीं
और परदे पे मंज़र बदल जाता है
एक बार चले जाते हैं जो दिन-रात सुबह-ओ-शाम
वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते


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