सोमवार, 25 अक्टूबर 2010

चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाये



Lyrics: Kishore Kumar

चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाये
सावन जो अगन लगाये उसे कौन बुझाये
पतझड़ जो बाग़ उजाड़े वो बाग़ बहार खिलाये
जो बाग़ बहार में उजड़े उसे कौन खिलाये

हमसे मत पूछो कैसे मंदिर टूटा सपनों का
लोगों की बात नहीं है ये क़िस्सा है अपनों का
कोई दुश्मन ठेस लगाये तो मीत जिया बहलाये
मन मीत जो घाव लगाये उसे कौन मिटाये

न जाने क्या हो जाता जाने हम क्या कर जाते
पीते हैं तो ज़िन्दा हैं न पीते तो मर जाते
दुनिया जो प्यासा रखे तो मदिरा प्यास बुझाये
मदिरा जो प्यास लगाये उसे कौन बुझाये

माना तूफ़ाँ के आगे नहीं चलता ज़ोर किसी का
मौजों का दोष नहीं है, ये दोष है और किसी का
मझधार में नैय्या डोले तो माझी पार लगाये
माझी जो नाव डुबोये उसे कौन बचाये


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