रविवार, 31 अक्टूबर 2010

सिमटी हुई ये घड़ियाँ



Singers: Lata Mangeshkar and Mohd. Rafi

सिमटी हुई ये घड़ियाँ
फिर से न बिखर जायेँ
इस रात में जी लें हम
इस रात में मर जायेँ

अब सुबहा न आ पाये
आओ ये दुआ माँगें
इस रात के हर पल से
रातें ही उभर जायेँ

हालात के तीरों से
छलनी हैं बदन अपने
पास आओ के सीनों के
कुछ ज़ख़्म तो भर जायेँ

आगे भी अंधेरा है
पीछे भी अंधेरा है
अपनी हैं वोही साँसें
जो साथ गुज़र जायेँ


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